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Israel New Map: इजरायल की तरफ से हाल ही में साझा किए गए नए मैप ने मध्य पूर्व में कूटनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है. इस मैप में ग्रेटर इजरायल के हिस्से के रूप में कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्रों और पड़ोसी अरब भूमि को दर्शाया गया है, जिससे अरब देशों में गहरी नाराजगी फैल गई है.
इजरायली विदेश मंत्रालय ने अरबी भाषा के ट्विटर और इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक पोस्ट साझा की, जिसमें लिखा था, “क्या आप जानते हैं कि इजरायल का साम्राज्य 3000 साल पहले स्थापित हुआ था?” इस मानचित्र ने इजरायल के प्राचीन साम्राज्य के दावे को पुनर्जीवित करने की कोशिश की, जिसपर फिलिस्तीनी और अरब देशों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है.
هل تعلم ان مملكة إسرائيل كانت قائمة منذ 3000 سنة؟
أول ملك حكمها لمدة 40 عاما كان الملك شاؤول (1050–1010) ق. م. ثم تلاه الملك داود الذي حكمها 40 عاما تقريبا (1010-970 ) ق.م. وعقبه الملك سليمان الذي حكم ايضا لمدة 40 عاما في الفترة (970-931) ق.م.
دام حكم الملوك الثلاثة… pic.twitter.com/xK7jjORdOK
— إسرائيل بالعربية (@IsraelArabic) January 6, 2025
अरब देशों की प्रतिक्रिया
अरब देशों ने इसे उनकी संप्रभुता के सीधे उल्लंघन के रूप में देखा और इसे इजरायल की विस्तारवादी महत्वाकांक्षाओं का प्रमाण बताया. जॉर्डन, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), और कतर ने इजरायल के इस कदम की कड़े शब्दों में निंदा की.
जॉर्डन का विरोध
जॉर्डन के विदेश मंत्रालय ने इस पोस्ट की निंदा करते हुए इसे फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना को रोकने के लिए एक प्रचार अभियान बताया. प्रवक्ता ने कहा कि इस प्रकार के मैप क्षेत्रीय शांति के प्रयासों को कमजोर कर सकते हैं.
कतर की प्रतिक्रिया
कतर के विदेश मंत्रालय ने इसे अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों का घोर उल्लंघन करार दिया. कतर ने इजरायल की इस कार्रवाई को क्षेत्र में शांति की संभावनाओं के लिए खतरा बताया और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अपनी कानूनी और नैतिक जिम्मेदारियों को पूरा करने का आह्वान किया.
यूएई की तीखी प्रतिक्रिया
संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने भी इस मैप की निंदा की और इसे कब्जे का विस्तार करने का एक जानबूझकर प्रयास माना. यूएई ने अंतर्राष्ट्रीय वैधता प्रस्तावों का उल्लंघन बताते हुए इसे क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए रोड़ा बताया.
फिलिस्तीनी प्रशासन और हमास की नाराजगी
फिलिस्तीनी प्रशासन और हमास ने भी इजरायल के इस मैप पर नाराजगी व्यक्त की. उन्होंने इसे इजरायल की विस्तारवादी नीतियों का हिस्सा बताते हुए इसे रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप की मांग की.
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