किसी कास्ट को ओबीसी लिस्ट में कैसे जोड़ा जाता है, ऐसा करना कितना मुश्किल? 

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दिल्ली विधानसभा चुनाव में अब महज सिर्फ 26 दिन बचे हुए हैं. लेकिन उससे पहले राजधानी दिल्ली में राजनीतिक घमासान मचा हुआ है. बता दें कि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जाट समाज को केंद्र की ओबीसी लिस्ट में शामिल करने की मांग की है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि किसी भी कास्ट को ओबीसी लिस्ट में कैसे जोड़ा जा सकता है? आज हम आपको इसके पीछे की वजह बताएंगे. 

क्या है मामला?

आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी में उन्होंने जाट समाज को केंद्र की ओबीसी लिस्ट में शामिल करने की मांग की है. इतना ही नहीं केजरीवाल ने पीएम मोदी के ऊपर ‘जाट समाज’ को धोखा देने का आरोप लगाया है. केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में ओबीसी दर्जा प्राप्त जाटों और अन्य सभी जातियों को केंद्र की ओबीसी लिस्ट में शामिल किया जाना चाहिए.

ओबीसी लिस्ट में शामिल करने का क्या है प्रोसेस

अब सवाल ये है कि किसी भी जाति को ओबीसी लिस्ट में शामिल करने का प्रोसेस क्या होता है. जानकारी के मुताबिक ओबीसी लिस्ट में किसी भी जाति को जोड़ने के लिए लोकसभा और राज्यसभा में विधेयक पेश करके उसे पास कराना होगा. जिसके बाद आखिरी में विधेयक राष्ट्रपति के पास जाता है, जहां से राष्ट्रपति की सहमति के बाद उस विधेयक को लागू करने के लिए अधिसूचना जारी होती है।

ऐसे समझिए पूरा प्रोसेस

देश में जिस तरीके से नए कानून को लाने के लिए बिल को लोकसभा और राज्यसभा में पास कराना होता है. वैसे ही ओबीसी में किसी नई जाति को जोड़ने के लिए भी बिल पेश करके नया कानून लाना होता है.

सरकार को अगर ओबीसी में किसी जाति को शामिल करने के लिए विधेयक लाना है, तो सबसे पहले उस विषय पर आम जनता, उसके एक्सपर्ट और स्टेक होल्डर्स की राय मांगी जाएगी. राय मिलने के बाद सरकार उसमें मिले सुझावों के आधार पर एक विशेषज्ञों की टीम द्वारा ड्राफ्टिंग करती है. ड्राफ्टिंग के बाद इसको लॉ मिनिस्ट्री भेजा जाता है, कानून मंत्रालय के द्वारा बिल की वैधता और कानूनी पहलू की जांच की जाती है.

इसके बाद ये बिल कैबिनेट के पास भेजा जाता है. कैबिनेट से पास होन के बाद बिल संसद में पेश किया जाएगा. देश के दोनों सदनों में बिल पास होने के बाद राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है, राष्ट्रपति की सहमति के बाद बिल को लेकर अधिसूचना जारी की जाती है. जिसके बाद वो जाति ओबीसी लिस्ट में जुड़ पाएगी. 

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